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लेखन–वाचन में शुद्धता और प्रस्तुतीकरण क्षमता बढ़ाने साहित्यकारों ने साझा किए विचार

राष्ट्रीय कवि संगम व आगर साहित्य समिति के संयुक्त तत्वावधान में साहित्यिक कार्यशाला संपन्न

आनंद गुप्ता जिला संवाददाता

मुंगेली में साहित्यिक कार्यशाला का आयोजन, स्व. केदार सिंह परिहार को दी गई श्रद्धांजलि

मुंगेली ➡ लेखन व वाचन में भाषा की शुद्धता, शब्द संपदा, साहित्यिक शैली में सुधार और अभिव्यक्ति या प्रस्तुतीकरण क्षमता को सशक्त करने के उद्देश्य को लेकर राष्ट्रीय कवि संगम जिला इकाई मुंगेली व आगर साहित्य समिति मुंगेली के द्वारा होटल पुनीत में साहित्यिक कार्यशाला का आयोजन किया गया । यह कार्यक्रम मुंगेली जिले के लोकप्रिय कवि स्वर्गीय श्री केदार सिंह परिहार को समर्पित रहा ।

कार्यक्रम का शुभारंभ आमंत्रित अतिथियों के द्वारा मां सरस्वती के छायाचित्र में दीप प्रज्वलन के साथ हुआ । अतिथियों के स्वागतोपरांत आगर साहित्य समिति मुंगेली के अध्यक्ष देवेन्द्र परिहार ने स्वागत उद्बोधन कहा- “हमारी समिति के द्वारा मुंगेली में प्रतिमाह काव्यगोष्ठी नियमित रूप से होती है । किंतु नया और साहित्यकारों के लिए उपयोगी कार्यक्रम करने का चिंतन पश्चात हमने विद्वानों की सहमति के पश्चात साहित्यिक कार्यशाला करने की योजना को मूर्तरूप दिया । राष्ट्रीय कवि संगम जिला इकाई मुंगेली एवं आगर साहित्य समिति मुंगेली की ओर से आमंत्रित सभी विद्वान अतिथियों और साहित्यकारों का मैं हृदय से स्वागत करता हूं ।

आप सबकी उपस्थिति ने इस कार्यक्रम की गरिमा को बढ़ा दिया है ।” राकसं के राष्ट्रीय महामंत्री महेश कुमार शर्मा ने अपने उद्बोधन में बताया युवाओं में कविता लेखन व प्रस्तुतीकरण के साथ देशभक्ति की भावना, सामाजिक समरसता और भारतीय संस्कृति से नई पीढ़ी का जुड़ाव हमारा उद्देश्य है । देश के सभी प्रांतों सहित छत्तीसगढ़ के सभी जिलों में राष्ट्रीय कवि संगम की जिला कार्यकारिणी गठित हो चुकी है, लेखन और वाचन की दिशा में अच्छा काम भी हो रहा है ।

इस कार्यक्रम के लिए मैं मुंगेली की पूरी टीम को बहुत-बहुत बधाई देता हूं । तत्पश्चात छत्तीसगढ़ राजभाषा आयोग के पूर्व अध्यक्ष, वरिष्ठ साहित्यकार डॉ विनय कुमार पाठक ने छत्तीसगढ़ी लेखन पर बहुत ही रोचक, जानकारी से परिपूर्ण और नवकलमकारों के लिए उपयोगी बातें बतायी । उन्होंने कहा छत्तीसगढ़ी लिखते और पढ़ते समय विशेष सावधानी की आवश्यकता होती है । छत्तीसगढ़ी के ठेठ शब्द नहीं होने पर छत्तीसगढ़ी दिखाने के लिए हमें शब्दों को गलत लिखने और बोलने से बचना चाहिए । अगर हिंदी के बीच अंग्रेजी और उर्दू बोले जा सकते हैं, तो छत्तीसगढ़ी में क्यों नहीं, किंतु यह ठेठ शब्द नहीं मिलने की स्थिति में होना चाहिए । प्रथम सत्र के अंतिम वक्ता के रूप में जिनकी 15 किताबें सजल पर प्रकाशित हो चुकी है

ऐसे सजल के विद्वान और वरिष्ठ साहित्यकार जांजगीर से विजय राठौर ने साहित्यकारों के मध्य मंच से कहा- सजल हिंदी और उर्दू के मध्य एक नई विधा है । जो हिंदी में दोहा और उर्दू में ग़ज़ल की तरह बंधा है। 2016 में सजल लेखन की शुरूआत किया गया। धीरे-धीरे अब सजल लेखन में लोगों की रुचि खूब बढ़ी है और देश भर में सजल लेखन का काम हो रहा है। प्रारंभिक दौर में सजल लेखन के नियमों में कुछ लचीलापन रखा गया था, किंतु 2020 के पश्चात लेखन नियमों का बंधन अनिवार्य मान लिया गया है । आज देश भर में साहित्यकार सजल लेखन कर रहे हैं । इसके साथ ही विजय राठौर ने मंच से सजल लेखन की बारीकियां को विस्तार से बताया । प्रथम सत्र का संचालन राष्ट्रीय कवि संगम के जिला अध्यक्ष रामा साहू ने किया । प्रथम सत्र का आभार प्रदर्शन करते हुए प्राध्यापक अशोक गुप्ता ने कहा – इस आयोजन की जितनी प्रशंसा की जाए कम है । यह सभी साहित्यकारों के लिए उपयोगी है । इस तरह की कार्यशाला का आयोजन प्रदेश के अलग-अलग क्षेत्र में निरंतर होते रहना चाहिए । मैं सभी विद्वानों और साहित्यकारों का कार्यक्रम में उपस्थिति के लिए आभार व्यक्त करता हूं ।

साहित्यिक कार्यशाला का द्वितीय सत्र जिला पंचायत के अध्यक्ष श्रीकांत पांडे, जनपद पंचायत मुंगेली के अध्यक्ष रामकमल सिंह परिहार, लोकप्रिय कवि मीर अली मीर, संस्कृति कर्मी और सांईनाथ फाउंडेशन के प्रमुख आशीषराज सिंघानिया, राष्ट्रीय कवि संगम प्रदेश उपाध्यक्ष कमल किशोर शर्मा के आतिथ्य में प्रारंभ हुआ । इस अवसर पर जिला पंचायत मुंगेली के अध्यक्ष श्रीकांत पांडे ने कहा- साहित्य समाज को दिशा देती है । साहित्यकार वही लिखते हैं जो उनके आसपास दिखाई देता है । साहित्य के इस सृजनात्मक आयोजन के लिए मैं आगर साहित्य समिति और राष्ट्रीय कवि संगम जिला इकाई मुंगेली दोनों को बधाई देता हूं

जनपद पंचायत मुंगेली के अध्यक्ष रामकमल सिंह परिहार ने कहा- साहित्य का हमारा सितारा स्व. केदार सिंह परिहार केवल मुंगेली ही नहीं बल्कि पूरे छत्तीसगढ़ को सूना करके चला गया । छत्तीसगढ़ महतारी को समर्पित उनकी रचनाएं हम सबके हृदय में सदैव रहेंगी । साहित्य के लिए यह सुंदर आयोजन है मैं आयोजनकर्ता राष्ट्रीय कवि संगम और आगर साहित्य समिति मुंगेली और को साधुवाद देता हूं ।

तत्पश्चात राष्ट्रीय कवि संगम के द्वारा दस्तक के लिए काव्यपाठ संपन्न हुआ । जिसमें उपस्थित जिलों से चुने हुए दो कवियों ने काव्यपाठ किया । मुंगेली जिले की ओर से सुश्री अभिलाष पांडे, अक्षत शर्मा, बिलासपुर से आशीष श्रीवास, बेमेतरा से निधि साहू, कवर्धा से रोशन चंद्रवंशी, जांजगीर से योगेश्वर सिंह राठौर ने काव्यपाठ किया । शेष जिलों का काव्यपाठ 14 सितंबर को रायपुर में संपन्न होगा। प्रदेश से चयनित कवि को दस्तक के लिए दिल्ली में काव्यपाठ करेंगे । द्वितीय सत्र में विषय वक्ता के रूप में पंडित सुंदरलाल शर्मा सम्मान से सम्मानित छत्तीसगढ़ के लोकप्रिय कवि मीर अली मीर ने मंचीय कविता और प्रस्तुतिकरण के विभिन्न बिंदुओं पर बहुत ही सारगर्भित और रोचक ढंग से उपस्थित नवकलमकारों को समझाया । मीर अली मीर ने बताया मंचीय कवि को मंच पर आने, बैठने, कवि का पहनावा, उसके खड़े होने का तरीका, प्रस्तुतीकरण के समय हाव-भाव, कविता की शैली सब कुछ ध्यान में रखना पड़ता है । एक अच्छे मंचीय कवि को उच्चारण पर भी विशेष ध्यान देना चाहिए । मंच पर पढ़ने से पूर्व अपने किसी जानकारी विद्वान से एक बार जांच जरूर कराना चाहिए । मीर अली मीर को सभी साहित्यकार बड़े मंत्र मुग्ध भाव से सुन रहे थे । तत्पश्चात संस्कृति कर्मी और लेखक आशीषराज सिंघानिया ने मंच, माइक, मीडिया और मार्केटिंग विषय पर अपनी बात रखते हुए कहा- सुगठित शब्दावली, भावों से भरी हुई रचना, अनुकूल प्रस्तुतीकरण होने के पश्चात भी सोशल मीडिया में आप बहुत अच्छे तरीके से परोस नहीं पा रहे हैं, तब आप और आपकी कविता की यात्रा लंबी होगी, लोगों तक पहुंचने में समय लगेगा । कई बार अच्छी कविता, अच्छी मार्केटिंग नहीं होने से पीछे हो जाती है और औसत प्रस्तुतीकरण, अच्छी मार्केटिंग से आगे बढ़ जाती है । आज के इस दौर में इस दिशा में भी हमें सोचना होगा । कार्यशाला के दूसरे सत्र का संचालन खेमेश्वरपुरी गोस्वामी ने किया । आभार प्रदर्शन करते हुए महेंद्र यादव ने कहा- सकारात्मक चिंतन के बाद आयोजित इस सृजनात्मक कार्यक्रम में आपकी उपस्थिति के लिए हृदय से कोटि-कोटि आभार एवं धन्यवाद । आग्रह है, भविष्य में भी आप हमें इस तरह की आयोजन में सहयोग प्रदान करेंगे ।

साहित्यिक कार्यशाला के अंतिम और तीसरे सत्र में जांजगीर, मुंगेली, बिलासपुर, कबीरधाम, बेमेतरा, बलौदा बाजार से उपस्थित कवियों ने काव्यपाठ किया । काव्यगोष्ठी में कवियों ने बहुत ही अच्छी प्रस्तुति दी । काव्यपाठ सत्र का संचालन आगर साहित्य समिति के सहसंयोजक राकेश गुप्त निर्मल और आभार प्रदर्शन रोहित ठाकुर ने किया । साहित्यिक कार्यशाला के समापन अवसर पर छत्तीसगढ़ के लोकप्रिय कवि श्री केदार सिंह परिहार को श्रद्धा सुमन अर्पित कर श्रद्धांजलि दिया गया । कार्यक्रम को सफल बनाने में जेठमल कोटडिया, अशोक गुप्ता, नंदराम यादव, जगदीश देवांगन, देवेंद्र परिहार, महेंद्र यादव, देव गोस्वामी कमल सोनी, राकेश गुप्त निर्मल, स्वतंत्र तिवारी, रामा साहू,ज्वाला कश्यप,हूपसिंह क्षत्रिय, रोहित ठाकुर,हेमंत कश्यप,अभिषेक जैन,कल्पना कौशिक,राजेश सोनी, अभिलाषा पांडे, खेमेश्वरपुरी गोस्वामी,अशोक कुमार यादव का विशेष योगदान रहा ।

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