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सरकारी स्कूलों में सफाई कर्मियों की अनदेखी, समायोजन नहीं तो बेरोजगारी तय

युक्तियुक्तकरण की मार से डरे सफाई कर्मचारी, रोजी-रोटी पर आया संकट

आनंद गुप्ता जिला संवाददाता

छत्तीसगढ़ अंश कालीन स्कूल सफाई कर्मचारियों ने शिक्षा सचिव के नाम कलेक्टर को सौंपा ज्ञापन

 

मुंगेली। छत्तीसगढ़ के शासकीय विद्यालयों में बीते 15 वर्षों से कार्यरत 43,301 अंशकालीन स्कूल सफाई कर्मचारी आज भी अपने अधिकारों और उचित मानदेय के लिए संघर्षरत हैं। जिन कर्मचारियों की सेवा का समय महज 2 घंटे प्रतिदिन निर्धारित है, उन्हें अधिकांश स्कूलों में भृत्य और चपरासी की अनुपस्थिति के चलते पूरा दिन कार्य करना पड़ता है। इसके बदले उन्हें मात्र ₹3,000 से ₹3,400 प्रतिमाह का नाममात्र मानदेय दिया जाता है, जो वर्तमान की मंहगाई की मार को देखते हुए बिल्कुल नाकाफी है।

कर्ज में डूबा जीवन, परिवार पालना बना चुनौती

कम मानदेय के चलते कर्मचारियों को अपने परिवार का भरण-पोषण कर्ज लेकर करना पड़ रहा है। अधिकांश कर्मचारियों ने बताया कि वर्तमान में उनके लिए दो वक्त की रोटी जुटा पाना भी कठिन होता जा रहा है। कई कर्मचारी मानसिक तनाव और आर्थिक तंगी के चलते गंभीर परेशानियों से जूझ रहे हैं।

युक्तियुक्तकरण की प्रक्रिया बनी खतरे की घंटी

वर्तमान में शिक्षा विभाग द्वारा चलाए जा रहे युक्तियुक्तकरण के तहत एक विद्यालय से दूसरे विद्यालय में समायोजन की प्रक्रिया जारी है। केवल मुंगेली जिले में ही 337 स्कूलों में यह प्रक्रिया प्रभावी हो रही है। यदि समायोजन के दौरान किसी स्कूल सफाई कर्मचारी को नए विद्यालय में समायोजित नहीं किया गया, तो उनकी सेवाएं समाप्त हो सकती हैं, जिससे वे बेरोजगार हो जाएंगे।

उम्र पार, लेकिन अधिकार अधूरे

इन कर्मचारियों ने 15 वर्षों तक सेवा दी है। आज उनकी उम्र 40 से 50 वर्ष के बीच हो चुकी है, जिससे वे सरकारी नौकरी की आयु सीमा को पार कर चुके हैं। ऐसे में यदि उन्हें नौकरी से बाहर किया गया, तो उनके सामने रोजगार और जीविका का बड़ा संकट खड़ा हो जाएगा।

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