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प्रसूता इलाज प्रकरण पर कांग्रेस सख्त, जिलाध्यक्ष ने टीम गठित कर शुरू की जांच

मुंगेली जिला अस्पताल में स्वास्थ्य सेवाओं की पोल खुली, निजी अस्पतालों की शरण में मरीज

आनंद गुप्ता जिला संवाददाता


जिला अस्पताल की लापरवाही का मामला तूल पकड़ा, कांग्रेस ने बनाई तीन सदस्यीय जांच समिति

मुंगेली – बीते दिनों जिला अस्पताल मे एक प्रसूता के इलाज का मामला अब तूल पकड़ने लगा है, मामले पर सुर्खियों मे आने के बाद प्रदेश कांग्रेस कमेटी के अध्यक्ष दीपक बैज ने जिलाध्यक्ष घनश्याम वर्मा को निर्देशित करते हुए मामले पर विस्तृत संज्ञान लेने का निर्देश जारी किया है,, जिसको लेकर जिलाध्यक्ष घनश्याम वर्मा ने पीड़िता से मुलाक़ात कर मामले की जानकारी ली एवं प्रदेश अध्यक्ष के निर्देश पर तीन सदस्यी टीम का गठन करते हुए मामले की जांच कर अपनी रिर्पोट प्रस्तुुत करने के निर्देश दियें है। तीन सदस्यी टीम में नगर पालिका अध्यक्ष रोहित शुक्ला को अध्यक्ष बनाया गया है वही दिलीप बंजारा और अभिलाष सिंह को सदस्य बनाया गया है। जो मामले की जांच कर जिलाध्यक्ष को अपनी रिर्पोट प्रस्तुत करेंगें ।
गौरतलब हो कि मुंगेली जिला अस्पताल में स्वास्थ्य सेवाओं की बड़ी लापरवाही सामने आई है। एक गर्भवती महिला को लेकर परिजन रात 1 बजे अस्पताल पहुंचे, लेकिन नर्स ने बताया कि डॉक्टर नहीं हैं और सुबह ही आएंगे। महिला कई घंटों तक दर्द से तड़पती रही, जिसके बाद परिजनों ने उसे प्राइवेट हॉस्पिटल में शिफ्ट कर दिया, जहां उसने सुबह 10 बजे बच्चे को जन्म दिया। मामले पर परिजनों का आरोप है कि मुंगेली जिला अस्पताल में रात में डॉक्टरों की अनुपलब्धता के कारण मरीजों को परेशानी का सामना करना पड़ता है। इस मामले ने स्वास्थ्य सेवाओं की पोल खोल दी है। करोड़ों की लागत से बना जिला अस्पताल दिनों-दिन बदहाली की ओर बढ़ता जा रहा है। कभी यह अस्पताल जिले के लोगों के लिए बड़ी उम्मीद का केंद्र था, लेकिन अब डॉक्टरों और स्वास्थ्य सेवाओं की कमी ने हालात बिगाड़ दिए हैं। स्थिति यह है कि गंभीर हालात में भी मरीजों को यहां सही समय पर इलाज नहीं मिल पा रहा है। जिसके चलते उन्हे निजी अस्पतालो की शरण में जाना पडता है। जिला अस्पताल में रोजाना सैकड़ों मरीज आते हैं, लेकिन डॉक्टरों और विशेषज्ञों की कमी के चलते मरीजों को निजी अस्पतालों की ओर रुख करना पड़ता है। ग्रामीण क्षेत्रों से आने वाले मरीजों को इस स्थिति का सबसे ज्यादा खामियाजा उठाना पड़ता है।

वर्जन: उन्होंने कहा कि जिले के सबसे बड़े अस्पताल मे इस तरह का वाक्य चिंता का विष्य है, उन्होंने एक प्रसूता को ज़ब इलाज के लिए घंटो इंतजार करना पड़ रहा है तो प्रदेश के हालातो का अंदाजा लगाया जा सकता है,, महिलाओ को लेकर प्रदेश सरकार कितनी संजीदा है, इतने बड़े जिले मे संचालित अस्पताल महज एक डाक्टर के भरोसे रहना पड़ रहा है,, जो चिंता की बात है, प्रदेश सरकार हर मोर्चे पर विफल साबित हो रही है। ऐसा ही एक मामला राजधानी में उजागर हुआ था, मामले को उजागर करने वाले पत्रकारों के दुर्व्यवहार किया गया था, ऐसा मामला केवल रायपुर में घटित नही हुआ है। जिले में कुछ समय पूर्व अस्पताल की अवयवस्थाओं पर रिपोर्टिंग करने गये प्रतिष्ठित चैनल के पत्रकारों को भी अस्पताल प्रबंधन द्वारा नोटिस जारी करने की बात सामने आई थी। जिसको देखते हुए ऐसा प्रतित होता है कि प्रदेश सरकार अपनी नाकामी और हर मोर्चो पर हो रही विफलता को उजागर करने वालो की आवाज दबाने हर संभव कोशिश करती है।

इस अवसर पर जिलाध्यक्ष सहित नगर पालिका अध्यक्ष रोहित शुक्ला, अभिलाष सिंह, कौशल सिंह क्षत्रिय, मुकेश मिरी श्रवण सोनकर, गौरी सोनकर उपस्थित रहें ।

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