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रामचरितमानस से ‘बूढ़ी काकी’ तक, साहित्यिक रंग में रंगा मुंगेली”

मुंगेली में गूंजीं तुलसी की चौपाइयां और प्रेमचंद की कहानियां

आनंद गुप्ता जिला संवाददाता

तुलसीदास और प्रेमचंद को श्रद्धांजलि, साहित्य प्रेमियों की उपस्थिति में भव्य आयोजन

मुंगेली / प्रतिवर्ष की भांति आगर साहित्य समिति मुंगेली के द्वारा गोस्वामी तुलसीदास जी व मुंशी प्रेमचंद की जयंती को बड़े उत्साह के साथ मनाया गया । आमंत्रित अतिथियों के द्वारा मां सरस्वती के छायाचित्र में दीप प्रज्वलन के साथ कार्यक्रम का शुभारंभ हुआ । तत्पश्चात सुश्री अभिलाषा पांडे के द्वारा मां वीणापाणी की सुमधुर वंदना प्रस्तुत की गई । कार्यक्रम में अतिथियों के स्वागत के पश्चात आगर साहित्य समिति मुंगेली के अध्यक्ष देवेंद्र परिहार ने गोस्वामी तुलसीदास जी महाराज व मुंशी प्रेमचंद जयंती के आयोजन की निरंतरता पर अपनी बात रखते हुए अतिथियों के लिए स्वागत उद्बोधन प्रस्तुत किया ।
इस अवसर पर आगर साहित्य समिति के सभी सदस्यों ने श्री रामचरितमानस की दो-दो चौपाइयां और एक दोहा अर्थ सहित प्रस्तुत किया । तत्पश्चात श्रीमती विभा सोनी व सुश्री अभिलाषा पांडे के द्वारा मुंशी प्रेमचंद की प्रसिद्ध कहानी बुढ़ी काकी का वाचन किया गया । तुलसीदास जयंती पर अपनी बात रखते हुए प्रेस क्लब मुंगेली के सचिव योगेश शर्मा ने कहा -“गोस्वामी तुलसीदास जी का जन्म विक्रम संवत 1554 में हुआ था । बचपन में विकट परिस्थितियों से जूझते हुए उन्होंने सच्चे अर्थों में विश्व को संसार का सर्वाधिक जनप्रिय महाकाव्य दिया । तुलसी को हम कई संत, भक्त, ज्योतिष ज्ञाता जो कहें सब संही लगता है । श्रीरामचरितमानस तो हमारे पूजा घर में मिलता है । उनकी रचनाओं की प्रसिद्ध इस बात से लगाया जा सकता है कि जो व्यक्ति कभी विद्यालय भी नहीं गया हो उनको भी तुलसी की चौपाइयां मुखाग्र याद रहता है । कवितावली, दोहावली, हनुमान चालीसा, विनय पत्रिका को लोग बड़े भाव से पढ़ते हैं ।” इस अवसर पर दैनिक भास्कर के वरिष्ठ पत्रकार प्रमोद पाठक ने कहा – तुलसीदास जी की भाषा लोक भाषा थी । तुलसी के पूर्व वाल्मीकि जी ने रामायण की रचना की थी, लेकिन लोक भाषा का अपना महत्व होता है । रामचरितमानस ही विश्व का ऐसा ग्रंथ है जिस पर सर्वाधिक शोध किया गया और आज भी किया जा रहा है । उनके द्वारा रचित ग्रंथ सर्वकालिक हैं । इस अवसर पर न्यूज़ 18 के वरिष्ठ पत्रकार प्रशांत शर्मा ने कथाकार मुंशी प्रेमचंद पर अपनी बात रखते हुए कहा -“मुंशी प्रेमचंद जी का जीवन हम सबके लिए प्रेरणा है । तमाम समस्याओं से जूझते हुए उन्होंने अपना अध्ययन, अध्यापन, व लेखन को कभी नहीं विराम नहीं दिया। ब्रिटिश काल में रचित उनकी रचना सोजे वतन ने तो लोगों में राष्ट्रीयता की भावना को उद्वेलित कर दिया था । आज भी उनकी कहानी पढ़ने पर ऐसा प्रतीत होता है जैसे उसके पड़ोस की घटित घटना है । सामाजिक, धार्मिक, राजनीतिक दशाओं पर उनकी पैनी नजर कलम के माध्यम से उतरती थी । इस अवसर पर प्राध्यापक व आगर साहित्य समिति के संयोजक अशोक गुप्ता ने कहा – मुंशी प्रेमचंद के समय की सामाजिक, राजनीतिक परिस्थितियों का उल्लेख करते हुए उनके द्वारा रचित कहानी व उपन्यास की महत्ता को बताते हुए और कहा 19वीं सदी की यह रचनाएं इसे लगता है जैसे आज के लिए लिखी गई हो । कार्यक्रम का आभार प्रदर्शन आगर साहित्य समिति के सहसंयोजक राकेश गुप्त निर्मल जी ने किया । कार्यक्रम का शानदार संचालन रामा साहू व खेमेश्वर पुरी गोस्वामी ने किया । कार्यक्रम में आगर साहित्य समिति के संयोजक अशोक गुप्ता, सहसंयोजक राकेश गुप्त निर्मल, अध्यक्ष देवेंद्र परिहार, राष्ट्रीय कवि संगम जिला अध्यक्ष रामा साहू, वरिष्ठ साहित्यकार जगदीश देवांगन, ज्वाला कश्यप, रोहित ठाकुर, विनोद सिंह, श्रीमती विभा सोनी, सुश्री अभिलाषा पांडे, खेमेश्वर पुरी गोस्वामी, अखिलेश्वर सिंह की विशेष उपस्थिति रही ।

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